महिलाओं की सूनी गोद भरने में ‘उत्तर बस्ती’ बनी वरदान ट्यूब ब्लॉक है तो घबराए नहीं, आयुष विश्वविद्यालय में है सफल इलाज

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कुरुक्षेत्र निवासी 25 वर्षीय महिला की शादी को 4 साल हो चुके थे, लेकिन गर्भधारण नहीं हो पाया। जांच में पता चला कि सफेद पानी की समस्या के साथ उसकी दोनों ट्यूब भी बंद थीं। महिला ने 10 दिसंबर 2024 को आयुर्वेदिक अस्पताल में उपचार शुरू कराया। यहां महिला का उत्तर बस्ती से उपचार किया गया, जिसके बाद 27 मई 2025 को कराई गई जांच में उसकी दोनों ट्यूब खुली पाई गईं। इससे महिला के जीवन में मां बनने की नई उम्मीद जगी।

केस-3

प्रो. सुनीति तंवर के मुताबिक, करनाल निवासी 39 वर्षीय महिला की दूसरी शादी थी। पहली शादी से उनके दो बच्चे थे, लेकिन दूसरी शादी के बाद लगभग 5 साल का अंतर आ गया। इस बीच उन्हें इंफेक्शन और रसौली की समस्या हो गई, जिसकी वजह से महिला की दोनों ट्यूब ब्लॉक हो गईं। 20 दिसंबर 2024 को महिला उनके पास उपचार के लिए पहुंची। मई 2025 में महिला की दोनों ट्यूब खुल गईं। 

केस-4
कैथल के पुंडरी निवासी 25 वर्षीय महिला की शादी को 6 साल हो चुके थे, लेकिन गर्भधारण नहीं हो पाया। जांच में पता चला कि उसकी दोनों फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक थी। महिला ने नवंबर 2024 में आयुर्वेदिक अस्पताल में उपचार शुरू कराया। यहां प्रो. सुनीति तंवर ने उसे उत्तर बस्ती दी। मई 2025 में महिला की ट्यूब खुल गईं। उपचार के लगभग 4–5 माह बाद उसकी ट्यूब सामान्य रूप से कार्य करने लगी, जिससे गर्भधारण की संभावना बनी।
विशेषज्ञ की राय
-HSG जांच कराने से ही यह पुष्टि होती है कि ट्यूब ब्लॉक है या नहीं।
-यदि शादी के एक साल तक भी गर्भधारण नहीं होता, तो डॉक्टर से अवश्य परामर्श लें।
-महिला और पुरुष दोनों की पूरी जांच होना जरूरी है।
-अगर संतान की योजना बनानी है, तो उसी हिसाब से अपनी दिनचर्या और जीवनशैली शुरू करनी चाहिए।
-आयुर्वेदिक अस्पताल में गर्भसंस्कार जैसी विशेष सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है।

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उत्तर बस्ती से निसंतान दंपतियों को मिली नई उम्मीद:प्रो.सिंगला
आयुर्वेदिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. राजा सिंगला ने कहा कि स्त्री रोग विभाग में आयुर्वेदिक उपचार से हो रहे सकारात्मक परिणाम महिलाओं के जीवन में नया उजाला ला रहे हैं। उत्तर बस्ती से निसंतान दंपतियों को नई उम्मीद है। यह एक ऐसी पद्धति है, जिसमें रोगी की शारीरिक स्थिति, रोग की प्रकृति और खान-पान सभी का विशेष ध्यान रखा जाता है। अस्पताल में उपचार केवल दवा तक सीमित नहीं है, बल्कि हर महिला को उचित परामर्श, जीवनशैली सुधार और मानसिक संबल भी दिया जाता है। यह चिकित्सा पद्धति न केवल रोग दूर करती है, बल्कि महिला के पूरे स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को संतुलित करती है।


बीमारियों के स्थाई समाधान में सक्षम है आयुर्वेद:कुलपति
कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने कहा कि श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय महिलाओं के स्वास्थ्य और मातृत्व सुख के लिए निरंतर आयुर्वेदिक अनुसंधान और उपचार को बढ़ावा दे रहा है। उत्तर बस्ती जैसी प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति आज आधुनिक चिकित्सा के विकल्प के रूप में नई उम्मीद जगा रही है। विश्वविद्यालय का लक्ष्य है कि समाज की हर उस महिला तक यह सुविधा पहुंचे, जो संतान सुख से वंचित है।

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