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कुरुक्षेत्र। संतान सुख की चाह में भटक रही महिलाओं के लिए श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र एक नई उम्मीद बन गया है। यहां फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज जैसी गंभीर समस्या से पीड़ित महिलाओं को आयुर्वेदिक उपचार से संजीवनी मिल रही है। विश्वविद्यालय के आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान एवं आयुर्वेदिक अस्पताल में विशेष आयुर्वेदिक पद्धति ‘उत्तर बस्ती’ के माध्यम से महिलाओं की ट्यूब ब्लॉकेज की समस्या का सफल उपचार किया जा रहा है। खास बात यह है कि जिन मरीजों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति में लेप्रोस्कोपी सर्जरी के जरिए ट्यूब ओपन कराने की सलाह दी गई थी, उन्हीं महिलाओं की ट्यूब मात्र 3 से 6 माह की अवधि में खुल गई। कई महिलाएं यहां इलाज करवाने के बाद मां बनने का सुख पा चुकी हैं।स्त्री रोग विभाग की प्रो. सुनीति तंवर का कहना है कि आयुर्वेद में स्त्री रोगों का उपचार केवल रोग मुक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह महिला के पूरे स्वास्थ्य, हार्मोनल संतुलन और जीवन शक्ति को पुनः स्थापित करने पर केंद्रित है। उत्तर बस्ती स्त्री रोगों के समाधान के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह पद्धति रसौली, फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज और इनफर्टिलिटी (बांझपन) जैसी जटिल समस्याओं में बेहद कारगर है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस उपचार के अंतर्गत महिला को हर माह मासिक धर्म के बाद लगातार तीन दिन तक उत्तर बस्ती दी जाती है। यह प्रक्रिया चिकित्सकीय देखरेख में लगातार तीन से छह माह तक चलती है। उपचार के दौरान खान-पान और जीवनशैली का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है, ताकि उपचार का पूरा लाभ मिल सके।
केस-1
प्रो.सुनीति के मुताबिक, कैथल निवासी 35 वर्षीय महिला की शादी के 2 साल बाद भी संतान नहीं हो पाई। जांच में पता चला कि महिला की दोनों फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक थीं। डॉक्टरों ने उसे ऑपरेशन कराने की सलाह दी। महिला 3 दिसंबर 2024 को आयुष विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक अस्पताल पहुंची। यहां जांच में पता चला कि उसे पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (PID) संक्रमण की वजह से ट्यूब ब्लॉकेज हुआ है। महिला को मासिक धर्म भी अनियमित थे। यहां महिला को लगातार तीन माह तक उत्तर बस्ती दी गई। 11 जुलाई 2025 को दोबारा किए गए एक्स-रे (HSG) में एक ट्यूब खुली पाई गई। साथ ही उसकी अनियमित मासिक धर्म की समस्या भी सामान्य होने लगी।
केस-2
केस-3
केस-4
कैथल के पुंडरी निवासी 25 वर्षीय महिला की शादी को 6 साल हो चुके थे, लेकिन गर्भधारण नहीं हो पाया। जांच में पता चला कि उसकी दोनों फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक थी। महिला ने नवंबर 2024 में आयुर्वेदिक अस्पताल में उपचार शुरू कराया। यहां प्रो. सुनीति तंवर ने उसे उत्तर बस्ती दी। मई 2025 में महिला की ट्यूब खुल गईं। उपचार के लगभग 4–5 माह बाद उसकी ट्यूब सामान्य रूप से कार्य करने लगी, जिससे गर्भधारण की संभावना बनी।
विशेषज्ञ की राय
-HSG जांच कराने से ही यह पुष्टि होती है कि ट्यूब ब्लॉक है या नहीं।
-यदि शादी के एक साल तक भी गर्भधारण नहीं होता, तो डॉक्टर से अवश्य परामर्श लें।
-महिला और पुरुष दोनों की पूरी जांच होना जरूरी है।
-अगर संतान की योजना बनानी है, तो उसी हिसाब से अपनी दिनचर्या और जीवनशैली शुरू करनी चाहिए।
-आयुर्वेदिक अस्पताल में गर्भसंस्कार जैसी विशेष सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है।
उत्तर बस्ती से निसंतान दंपतियों को मिली नई उम्मीद:प्रो.सिंगला
आयुर्वेदिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. राजा सिंगला ने कहा कि स्त्री रोग विभाग में आयुर्वेदिक उपचार से हो रहे सकारात्मक परिणाम महिलाओं के जीवन में नया उजाला ला रहे हैं। उत्तर बस्ती से निसंतान दंपतियों को नई उम्मीद है। यह एक ऐसी पद्धति है, जिसमें रोगी की शारीरिक स्थिति, रोग की प्रकृति और खान-पान सभी का विशेष ध्यान रखा जाता है। अस्पताल में उपचार केवल दवा तक सीमित नहीं है, बल्कि हर महिला को उचित परामर्श, जीवनशैली सुधार और मानसिक संबल भी दिया जाता है। यह चिकित्सा पद्धति न केवल रोग दूर करती है, बल्कि महिला के पूरे स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को संतुलित करती है।
बीमारियों के स्थाई समाधान में सक्षम है आयुर्वेद:कुलपति
कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने कहा कि श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय महिलाओं के स्वास्थ्य और मातृत्व सुख के लिए निरंतर आयुर्वेदिक अनुसंधान और उपचार को बढ़ावा दे रहा है। उत्तर बस्ती जैसी प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति आज आधुनिक चिकित्सा के विकल्प के रूप में नई उम्मीद जगा रही है। विश्वविद्यालय का लक्ष्य है कि समाज की हर उस महिला तक यह सुविधा पहुंचे, जो संतान सुख से वंचित है।