Trending
Ayurveda: आयुर्वेदिक औषधियां किसी अमृत से कम नहीं हैं। बशर्ते सही समय पर सही इलाज मिल जाए। इस बात को 62 वर्षीय घराड़सी निवासी दरिया सिंह के साथ श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय में इलाज लेने वाले कई मरीज मान चुके हैं। शुगर के बाद जब उन्हें न्यूरोपैथी बीमारी का पता लगा और पैर चलने से जवाब देने लगे। लगातार नौ दिन और रात पैरों में दर्द की वजह से वह सो नहीं पाए। उनका हौसला टूटने लगा। एनसीवी करवाने पर पता लगा कि पैरों की मांसपेशियां अपने आप काम कर रही हैं। इसकी वजह से उनकी टांगें सिकुड़ने लगी और नसाें व मांसपेशियों का समन्वय खत्म होने की बात सामने आई। धीरे-धीरे छह किलोमीटर की रोजाना सैर करने वाले दरिया सिंह का छह कदम चलना भी मुश्किल हो गया। मगर चार महीने तक पंचकर्मा और कड़वे काढ़े उनके लिए अमृत बन गए। अब वह अपने पैरों पर पूरा-पूरा दिन घूम रहे हैं।
विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक अस्पताल के एसोसिएट प्रोफेसर एवं पंचकर्मा विशेषज्ञ डा. राजा सिंगला ने कहा कि न्यूरोपैथी बीमारी में आयुर्वेद के रक्त पाचक काढ़ों के जबरदस्त परिणाम मिल रहे हैं। दरिया सिंह के इलाज के बाद अब न्यूरोपैथी बीमारी से जूझ रहे कई मरीजों की आशाएं बढ़ गई हैं।
जब चिकित्सक ने रिपोर्ट देखकर गर्दन हिलाई तो छूट गए थे आंसू
दरिया सिंह बताते हैं कि 2017 में उन्हें एकाएक साढ़े 500 शुगर होने की बात सामने आई। इसके बाद बहुत घूमने के बाद उनकी शुगर तो कम हुई, लेकिन पैरों में असहनीय पीड़ा होने लगी। रोजाना सैर करना तो दूर कुछ कदम चलना भी मेरे लिए मुश्किल हो गया। बहुत जगह जांच करवाने के बाद भी असल कारण पकड़ में नहीं आया। जब वह श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय एवं अस्पताल में पहुंचे तो एसोसिएट प्रोफेसर डा. राजा सिंगला ने एनसीवी टेस्ट करवाया। रिपोर्ट देखी तो वह भी गर्दन हिलाकर चिंता में पड़ गए। यह देखकर मेरे आंसू निकल आए। मगर डा. राजा ने उन्हें हौसला बंधाया कि उनका उपचार होगा और वह ठीक भी होंगे। इसके बाद पहले ही दिन की दवा में उन्हें फर्क दिखा। उन्होंने चार माह इलाज लिया और वह आज पूरा दिन घूम रहे हैं।
टांगें सूखने लगती है बीमारी में मरीज की : डा. राजा
डा. राजा सिंगला ने बताया कि दरिया सिंह मरीज, जो दोनों पैरों में कमजोरी का सामना कर रहे थे, छह माह पहले उनके पास इलाज के लिए आए थे। मरीज की शुगर अनियंत्रित थी, जिसके बाद उनकी टांगें सूखने लगी। जब एनसीवी टेस्ट करवाया तो पैरों का मोटर न्यूरोपैथी बीमारी का पता लगा। इस बीमारी में मांसपेशियां अपने आप एक्टिव रहती हैं और कुछ समय के बाद नसों और मांसपेशियों के बीच समन्वय टूटने लगता है, जिससे जल्दी थकान होने लगती है। इस वजह से मरीज चलने में असहज होने लगता है। दरिया सिंह के साथ भी यही होने लगा था वह थोड़ी दूर भी नहीं चल पा रहे थे। उनकी दोनों टांगें काफी कमजोर हो गई थीं। छह माह के इलाज के बाद वह बिल्कुल ठीक महसूस कर रहे हैं।
मोटर न्यूरोपैथी में होती है यह समस्या
मांसपेशियां भी पतली पड़ने लगती हैं। शरीर की नसें और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इस बीमारी में मांसपेशियों और नसों के बीच समन्वय सही नहीं रहता, जिससे मांसपेशियों का क्षय होने लगता है। इससे शरीर में अत्यधिक थकान, दर्द, सुन्न होना, सुई चुभने लगती हैं। धीरे-धीरे मरीज की टांगें सूखने लगती है। यह तब होता है जब नसों को विभिन्न कारणों जैसे मधुमेह, संक्रमण या पोषण की कमी के कारण नुकसान पहुंचता है।
यह दिया गया इलाज
रक्त पाचक काढ़ों का सेवन करवाया गया। इससे नसों और मांसपेशियों के बीच तालमेल बनने लगा। इसके साथ नसों को ताकत देने वाले योग दिए गए। गिलोये, गुगुला कल्पाएं, रक्त प्रसाधन करने वाले द्रव्य, मांसपेशियों भृंगन करने वाले द्रव्य उपचार में दिए गए। हष्टवर्ग गण के कषाए दिए गए, ताकि मांसपेशियों में वृद्धि हो सके।