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Yamunanagar CMO Sex Harassment; अभी नहीं तो कभी नहीं, 10 से 15 मिनट में तैयार हो जाओ… घबराओ क्यों रही हो और मुझे नजरअंदाज क्यों कर रही हो? मैं तुम्हारे साथ संबंध बनाना चाहता हूं… किसी से भी इस बारे में बात मत करना। यह 3 मिनट 26 सेकेंड की ऑडियो रिकॉर्डिंग हरियाणा के यमुनानगर में सिविल सर्जन (CMO) की बताई जा रही है।
यह कॉल CMO ने स्वास्थ्य विभाग के प्रोजेक्ट में कार्यरत लेडी डॉक्टर को की थी। पीड़िता ने यह रिकॉर्डिंग पेन ड्राइव में कोर्ट में पेश की। रिकॉर्डिंग सुनने के बाद अदालत ने माना कि आरोपी ने कार्यस्थल पर महिला कर्मचारी से अश्लील और यौन उत्पीड़न संबंधी बातें कीं। इसी आधार पर सीएमओ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
एडिशनल सेशन जज रंजना अग्रवाल की कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्डिंग सुनकर स्पष्ट हो रहा है कि आरोपी ने कार्यस्थल पर एक महिला कर्मचारी के प्रति यौन रूप से अश्लील शब्द कहे और यौन उत्पीड़न किया। यह अत्यंत आपत्तिजनक और अश्लील भाषा है। पुलिस द्वारा इस ऑडियो कॉल रिकॉर्डिंग की फोरेंसिक जांच भी कराई जा सकती है। बताया जा रहा है कि जो कॉल रिकॉर्डिंग कोर्ट में पेश की गई, वो 20 सितंबर की है। इन आरोपों पर सीएमओ की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है। लेडी डॉक्टर का यह भी आरोप है कि इस मामले में फील्ड मैनेजर ने भी उनके ऊपर दबाव बनाया। उन्होंने कहा कि वह सीएमओ के निर्देश पर उसे लेने आ रहा है।
मां की सलाह पर कॉल रिकॉर्ड की
लेडी डॉक्टर ने आरोप लगाया कि एक बार सीएमओ ने उनकी जाति को लेकर कहा कि तुम लोगों को नौकरी भी बड़ी आसानी से मिल जाती है, इसे बचा कर रखो। पीड़िता ने बताया कि एक दिन सीएमओ ने उसे कॉल कर अश्लील और यौन शोषण संबंधित टिप्पणियां की। यह सारी बात उसने अपनी मां को बताई। मां ने कॉल रिकॉर्ड करने को कहा। 20 सितंबर को दोपहर में उसके पास सीएमओ ने वॉट्सऐप पर कॉल की। कॉल पर सीएमओ ने उसके साथ बहुत ही ज्यादा अश्लील बातें कीं। जो उसने रिकॉर्ड कर लीं।
रिकॉर्डिंग के आधार पर केस दर्ज
इसी कॉल रिकॉर्डिंग के आधार पर केस दर्ज हुआ और जमानत भी नहीं मिली।
22 सितंबर शाम को CMO के खिलाफ BNS की धारा 75(2) (यौन उत्पीड़न),
धारा 78 (स्टॉकिंग) SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ। गिरफ्तारी से बचने के लिए CMO ने कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और कॉल रिकॉर्डिंग सामने आने के बाद कोर्ट ने CMO की याचिका खारिज कर दी।
बचाव में दिए गए तर्क
गिरफ्तारी से बचने के लिए CMO ने कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई। जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई। CMO की पैरवी कर रहे वकील ने तर्क दिया कि सीएमओ को इस मामले में झूठा फंसाया गया है। यह मामला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद के लिए राजनीति के कारण दर्ज किया गया। इस राजनीति के कारण, पुलिस अनावश्यक रूप से आवेदक को परेशान कर रही है।
दूसरी दलील में वकील ने कहा कि सीएमओ ने शिकायतकर्ता को केवल आधिकारिक उद्देश्य से कॉल किया था, क्योंकि एक वीडियो कॉन्फ्रेंस चल रही थी। शिकायतकर्ता से कुछ भी बरामद नहीं करना। सीएमओ पर एससी/एसटी अधिनियम के तहत भी अपराध नहीं बनता, क्योंकि शिकायत में यह नहीं बताया गया कि शिकायतकर्ता की जाति का नाम लेकर अपमानजनक शब्द सार्वजनिक रूप से कहे गए थे। हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं थी। इसलिए आवेदक अग्रिम जमानत का हकदार है।
पीड़िता के वकील का तर्क
मामले में पीड़िता लेडी डॉक्टर के एडवोकेट ने कोर्ट को तर्क दिया कि आरोपी ने कार्यस्थल पर महिला कर्मचारी को अश्लील शब्द कहे। पुलिस द्वारा उचित जांच के बाद केस दर्ज किया गया। मामले में बाकी की जांच अभी लंबित है और सीएमओ प्रत्यक्ष रूप से केस में शामिल हैं। मामले की तह तक जाने के लिए आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करना आवश्यक है, इसलिए वह अग्रिम जमानत का हकदार नहीं है।