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Post menopausal syndrome; रजोनिवृत्ति (Menopause) जीवन का स्वाभाविक चरण है,लेकिन यदि समय रहते इसका सही प्रबंधन न किया जाए तो यह कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं को जन्म दे सकती है। 45 से 55 वर्ष की आयु के बीच जब रजोनिवृत्ति आती है, तो यह केवल मासिक धर्म का बंद होना नहीं होता, बल्कि यह महिला के जीवन का एक ऐसा मोड़ होता है जहां शरीर और मन दोनों बदलावों से गुजरते हैं। इसी अवस्था के बाद प्रकट होने वाली परेशानियों को चिकित्सकीय भाषा में पोस्ट मेनोपॉज़ल सिंड्रोम कहा जाता है।
श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के गायनी विभाग की प्रो. सुनीति तंवर ने बताया कि यह केवल असुविधा नहीं, एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। रजोनिवृत्ति के बाद शरीर में हार्मोनल असंतुलन होने लगता है। महिलाएं अक्सर इसे “सामान्य कमजोरी” मानकर अनदेखा कर देती हैं। महिलाओं को इस अवस्था को छिपाने या सहने की बजाय जागरूक होकर चिकित्सा और योग की मदद लेनी चाहिए। यह समय छिपाने या सहने का नहीं, बल्कि संभलकर कदम बढ़ाने का है। योग की सरल क्रियाएं प्राणायाम, ध्यान और विशेष रूप से त्राटक व भ्रामरी तनाव और नींद की समस्या को कम करने में मददगार साबित होती हैं। आयुर्वेदिक औषधियों जैसे शतावरी और अशोक से हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में लाभ मिलता है।
ये लक्षण नजरअंदाज न करें
अगर इन लक्षणों को समय रहते अनदेखा किया गया, तो हृदय रोग और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ सकता है।
सावधानी: सही जानकारी और सही उपचार