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Kidney Stones Homeopathy Treatment; कुरुक्षेत्र। श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय आयुष पद्धतियों के जरिए लगातार मरीजों को राहत देने में नई मिसाल कायम कर रहा है। हाल ही में यहां दो मरीजों के लिए सफेद रंग की छोटी-छोटी गोलियां उनके लिए चमत्कार साबित हुईं और कुछ ही दिनों में पथरी बाहर निकल आई। कुरुक्षेत्र निवासी मितुल अरोड़ा (45) पिछले पांच वर्षों से गुर्दे की पथरी से परेशान थे। उनके दाएं गुर्दे में 10 एमएम की पथरी थी। लगातार दर्द झेलते हुए उन्होंने कई डॉक्टरों को दिखाया,लेकिन आराम नहीं आया। कुछ डॉक्टरों ने तो सर्जरी कराने की भी सलाह दी थी। इस बीच, मई 2025 में दर्द असहनीय हो गया और अरोड़ा श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के होम्योपैथी क्लीनिक पहुंचे।
यहां उन्होंने अपनी रिपोर्ट डॉ. रिया शर्मा को दिखाई। रिपोर्ट में पथरी का आकार 10 एमएम दर्ज था। डॉ. रिया ने उन्हें होम्योपैथिक औषधियां दीं और नियमित सेवन की सलाह दी। मितुल अरोड़ा ने करीब चार माह तक लगातार दवा खाई। परिणामस्वरूप उनकी पत्थरी बिना किसी सर्जरी के पेशाब के रास्ते से बाहर निकल आई। डॉ. रिया ने बताया कि सामान्यत: 6 से 7 एमएम तक की कैल्शियम स्टोन पेशाब से आसानी से निकल सकती है,लेकिन 10 एमएम की पथरी या तो छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर निकलती है या फिर ऑपरेशन करना पड़ता है। अरोड़ा का मामला खास था क्योंकि उनकी पथरी कैल्शियम की नहीं थी और दवाओं का असर अपेक्षा से अधिक सफल रहा।
दूसरा मामला : सिर्फ 15 दिन में असर
कैथल जिले के गांव बाकल निवासी प्रवीण कुमार के दोनों गुर्दों में 7–8 एमएम की पथरी थी। तेज दर्द और असुविधा के चलते उन्होंने भी श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के होम्योपैथी क्लीनिक में परामर्श लिया। यहां डॉ. कुलजीत कौर ने उन्हें बर्बेरिस वल्गैरिस और हाइड्रेजिया जैसी औषधियां दीं। इन दवाओं का असर इतना तेज और सकारात्मक रहा कि मात्र 15 दिन में ही प्रवीण कुमार की पथरी पेशाब के रास्ते बाहर निकल आई।
कैल्शियम स्टोन सबसे आम: डॉ. कुलजीत
डॉ. कुलजीत कौर ने बताया कि गुर्दे की पथरी कठोर खनिज जमाव है, जो दर्द, पेशाब में जलन, खून और उल्टी जैसी तकलीफें पैदा करता है। कैल्शियम स्टोन सबसे आम होते हैं, जबकि यूरिक एसिड, स्ट्रूवाइट और सिस्टीन स्टोन अन्य प्रकार हैं। गलत खान-पान, कम पानी, मोटापा, डायबिटीज और हाई BP इसके बड़े कारण हैं। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी पूरी तरह प्राकृतिक, सुरक्षित और बिना साइड इफेक्ट वाला उपचार है, जो पत्थर को टुकड़ों में तोड़ कर बाहर निकालता है और दोबारा बनने से रोकता है।
बीमारियों से निजात दिलाने में सक्षम आयुष चिकित्सा पद्धति : कुलपति
श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने कहा कि आयुष पद्धतियां मरीजों को बिना किसी दुष्प्रभाव के गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने में सक्षम हैं। कहा कि जब पूरी दुनिया आधुनिक चिकित्सा के साथ वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों की ओर भी उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है, तब ऐसे सफल उपचार आयुष पद्धति की विश्वसनीयता को और मजबूत करते हैं।