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SKAU NEWS; श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में ‘स्नैकमैन ऑफ हरियाणा’ के नाम से प्रसिद्ध सतीश फफड़ाना ने कहा कि देश में हर साल लगभग 58 हजार लोगों की मौत सांप के काटने से हो जाती है, जबकि समय पर इलाज मिलने से इन मौतों को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि जानकारी के अभाव और झाड़-फूंक पर भरोसा करने के कारण स्थिति बिगड़ती हैI विश्वविद्यालय पहुंचने पर कुलसचिव प्रो. ब्रिजेंद्र सिंह तोमर व आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान के प्राचार्य प्रो. आशीष मेहता ने सतीश फफड़ाना व उनकी टीम का स्वागत किया।
इस अवसर पर स्नेक मैन सतीश फफड़ाना ने बताया कि भारत में 272 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं, जिनमें से अधिकतर जहरीले नहीं होते। उन्होंने कहा कि अगर हजार लोगों को सांप काटता है तो लगभग 800 लोगों को गैर-जहरीले सांप काटते हैं, 150 लोगों को सामान्य जहरीला सांप और करीब 40 लोगों को कोबरा, जो जानलेवा साबित होता है। उन्होंने कहा कि कई बार जहरीला सांप भी काटते समय जहर नहीं छोड़ता या बहुत कम मात्रा में छोड़ता है। ऐसे में लोग झाड़-फूंक से ठीक होने का भ्रम पाल लेते हैं, लेकिन यदि वास्तव में जहर शरीर में पहुंच जाए और समय पर अस्पताल न ले जाया जाए तो जान बचाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि सही समय पर अस्पताल पहुंचाकर और एंटी डॉट लगवाकर 98 प्रतिशत मामलों में मरीज की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों और स्टाफ को सांप के काटने और घर में सांप घुसने की स्थिति में बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार को युवा पीढ़ी को सांप पकड़ने की ट्रेनिंग देने के साथ कौशल निगम में रोजगार देना चाहिए, ताकि इंसानों की जान भी जोखिम में न पड़े और सांप भी जीवीत रहें। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने भी प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
ऐसे जागरूक कार्यक्रम बेहद जरूरी: प्रो. तोमर
आयुष विवि के कुलसचिव प्रो.ब्रिजेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज भी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोग सांप के काटने के बाद झाड़-फूंक जैसी परंपराओं पर विश्वास कर बैठते हैं, जिससे अनजाने में कीमती जानें चली जाती हैं। इस तरह की जागरूकता कार्यशालाएं लोगों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने और समय रहते अस्पताल पहुंचने के लिए प्रेरित करती हैं।
उन्होंने कहा कि स्नैकमैन ऑफ हरियाणा सतीश फफड़ाना ने विद्यार्थियों को न केवल सांपों के महत्व और उनके पारिस्थितिकी योगदान के बारे में बताया, बल्कि व्यावहारिक जानकारी भी दी कि सांप के काटने और घर में सांप घुसने की स्थिति में क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय आगे भी ऐसे जनहित के कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा, ताकि विद्यार्थी केवल शैक्षणिक ही नहीं, सामाजिक स्तर पर भी जागरूक बनें।
सांप काट जाए तो क्या करें ?
घाव की फोटो खींचें ताकि प्रजाति की पहचान हो सके।
घाव को अच्छी तरह धो लें।
तुरंत अस्पताल जाएं, झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़ें।
एंटी डॉट लगने के बाद भी मरीज की लगातार निगरानी करें।
अगर सांप घर में घुस जाए तो क्या करें?
घर में साफ-सफाई रखें।
बिस्तर के नीचे जूते या सामान न रखें।
फर्श को पक्का रखें ताकि बिल न बनें।
कमरे के दरवाजे और दीवार के पास आटे या सफेद सीमेंट की लाइन डाल दें, ताकि सांप की गतिविधि का पता चल सके।
दरवाजे और फर्श के बीच गैप न छोड़ें।
मच्छरदानी लगाकर सोएं।